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कलयुग में सतयुग कथा : सगा भाई यूपी का सीएम और बहन चाय बेच कर रही गुजारा


देहरादून। 20 मार्च, 2022 को होली भाईदूज का त्यौहार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। बहनों ने अपने भाइयों के माथे पर टीका लगाया और उनके सफल जीवन की कामना की। मगर एक बहन ऐसी भी है जो टीका तो क्या, अपने मुख्यमंत्री भाई को पिछले 30 वर्षों से राखी तक नहीं बांध पाई है। बावजूद इसके वह भाई के सफल और लंबे जीवन की कामना करने में किसी से पीछे नहीं है। शायद इसीलिए उनके भाई योगी आदित्यनाथ दोबारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करने जा रहे हैं।

एक साक्षात्कार में योगी से पूछा गया कि आपको पता भी है, आपकी सबसे छोटी बहन किन हालातों से गुजर रही है? योगी खामोश रहे… तभी साक्षात्कार करने वाले ने बहन की तस्वीरें दिखानी शुरू कर दीं। तस्वीरों में योगी की बहन घास काटते हुए नजर आ रही हैं, एक टीन के टप्पर वाली छोटी सी दुकान में चाय बनाती हुई दिख रही हैं। इन तस्वीरों को देखने के बाद योगी के मुंह में जैसे शब्दों का अकाल सा पड़ गया। उनकी आंखों में केवल आंसू थे।

यहां हम आपको योगी की उसी लाड़ली बहन की कहानी सुनाने जा रहे हैं जिनका नाम सुनकर योगी भावुक हो जाते हैं… मुंह में शब्द नहीं ठहरते।

5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के पंचूर गांव में अजय बिष्ट यानी आज के योगी आदित्यनाथ पैदा हुए। योगी 6 साल के ही हुए थे तभी उनकी सबसे छोटी बहन शशि पैदा हुईं। जैसे एक सामान्य परिवार के भाई-बहन का प्यार होता है ठीक उसी तरह योगी और उनकी बहन का रिश्ता रहा। हंसते-खेलते, पढ़ते-लिखते दोनों बड़े होते गए।

साल 1992 आया, शशि की शादी हो गई

योगी की बहन शशि बमुश्किल 14 साल की ही रही होंगी। उनकी शादी पंचूर गांव से 30 किलोमीटर दूर कोठार गांव में कर दी गई। इधर योगी राममंदिर आंदोलन से जुड़ गए। महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आए। उनसे प्रभावित हो कर गुरु दीक्षा ले ली, उनके शिष्य बन गए। अब योगी अवैद्यनाथ की सेवा में रहना चाहते थे। अवैद्यनाथ ने कहा, “घरवालों से बात करके आएं।” योगी घर आए और कहा, “मैं गोरखपुर में रहूंगा। लोगों की सेवा करूंगा।” पिता आनंद सिंह बिस्ट को बेटे की बात ठीक से समझ नहीं आई लेकिन वो मान गए। मां को लगा बेटा नौकरी करने जा रहा है। कुछ दिनों में क्लियर हुआ कि बेटा संत बन चुका है तो घर में मातम पसर गया।

भीख मांगने वाले साधुओं में अपने भाई को ढूंढा करती थी शशि

गरीब घर में ब्याही शशि ससुराल को ही अपनी दुनिया बना चुकी थी। एक दिन अचानक उनको खबर मिली कि उनका बड़ा भाई साधू बन गया है. खबर सुनते ही शशि का दिल बैठ गया। शशि की हालत ये हो गई कि उसके गांव भिक्षा मांगने आने वाले साधुओं में अपने भाई अजय को ढूंढने लगी। ये सिलसिला कई सालों तक चलता रहा। तब तक, जब तक शशि को ये पता नहीं चल गया कि उनका भाई गोरक्षनाथ पीठ का महंत बन गया है।

फूल, प्रसाद, चाय और खाने का एक छोटा ढाबा चलाने लगी

खेती और भैंस पालने से शशि का गुजारा नहीं हो पा रहा था। शशि ने पति पूरन सिंह पायल के साथ मिल कर गांव के चर्चित माता पार्वती के मंदिर के पास ही फूल और प्रसाद की दुकान खोल ली।

अपने पति के साथ मिलकर चलाती हैं दुकान

शशि के घर से करीब ढाई किलोमीटर दूर नीलकंठ महादेव और माता पार्वती का मंदिर है। यहां बहुत से यात्री दर्शन करने आते हैं। मंदिर के पास करीब 70 दुकाने हैं उनमें से एक झोपड़ी वाली दुकान शशि की भी है। शशि और उनके पति हर रोज ढाई किलोमीटर पैदल चलकर दुकान चलाने आते हैं। इस दुकान में वे फूल, माला, प्रसाद और चाय बेचते हैं। कभी-कभी यात्री खाने की डिमांड भी कर देते हैं तो शशि थोड़ा एक्स्ट्रा आमदनी के लिए उन्हें खाना बना कर भी खिलाती हैं। शशि के 3 बच्चे भी हैं, दो बेटे और एक बेटी।

साल 2017 आया, छोटी सी दुकान के बाहर अचानक से मीडिया वालों की लाइन लग गई

एक साधारण सी जिंदगी जीने वाली शशि ने अपनी दुकान के बाहर कैमरा और माइक से लैस खड़े लोगों को देखा। अपने पति से पूछा ये सब कौन हैं। पति पूरन सिंह ने बताया योगी यूपी के सीएम बन गए हैं। ये सभी मीडिया वाले उनकी बहन को ढूंढते हुए यहां पहुंचे हैं, तुमसे बात करना चाहते हैं, तुम्हें बधाई देना चाहते हैं।

मीडिया वालों ने पूछा, योगी से क्या मदद चाहिए? जवाब योगी की बहन वाला ही था

मीडिया ने शशि के पूछा आप इतनी गरीबी में गुजर-बसर कर रही हैं, अपने सीएम भाई से क्या मदद चाहती हैं? शशि बोलीं, “मैं अपनी जिंदगी से खुश हूं। मुझे कोई स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं चाहिए। वो लोगों की सेवा करते रहें और एक दिन देश के प्रधानमंत्री बने, मैं बस यही चाहती हूं।”

एक पत्रकार ने पूछा, योगी से कब से नहीं मिली?

शशि बोलीं, पिछले 30 साल से उन्हें राखी नहीं बांध पाई हूं। हर रक्षा बंधन को राखी भेजती हूं लेकिन जवाब नहीं आता। सन्यासी जीवन के चलते निजी रिश्तों से मुक्त हो गए हैं। 2017 में चुनाव प्रचार के लिए ऋषिकेश, यमकेश्वर और रायवाला आये थे। इसी दौरान अपने गांव पंचूर भी आये थे तभी उनसे मिली थी।

मेहनत करो, कमाओ और खाओ

2017 में जब योगी से मिली थीं तो पैर छूकर आशीर्वाद लिया था, वो ज्यादा बात नहीं करते। बस, मुस्कुरा कर पूछते हैं कैसी हो? बच्चों के साथ समय बिताते हैं। उनका यही कहना होता है कि मेहनत करो, कमाओ और खाओ। हमारा भी यही मानना है।

लोग कहते हैं शर्म नहीं आती? योगी की बहन होकर चाय बेचती हो…

योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से कई लोग कहते हैं कि आपको शर्म नहीं आती आप मुख्यमंत्री की बहन हो कर चाय की दुकान चलाती हैं। इन हालातों में रहती हैं? मैं उनको एक ही बात कहती हूं, “मैं गरीब हूं, ये मेरा नसीब है। शर्म तब आनी चाहिए जब आप कोई गंदा काम कर रहे हों। किसी के हक का छीन कर खा रहे हों। मैं तो मेहनत करके अपनी गुजर बसर कर रही हूं।

अब योगी को प्रधानमंत्री बनते देखना चाहती हूं

योगी के दोबारा मुख्यमंत्री बनने पर शशि ने कहा, “मेरी उनको दोबारा यूपी का मुख्यमंत्री बनते देखने की मनोकामना पूरी हुई। अब मैं उनको देश का प्रधानमंत्री बनते हुए देखना चाहती हूं। जब तक मोदी जी पीएम हैं वही रहें फिर अपनी जिम्मेदारी योगी को दे दें।

गांव वालों के साथ योगी की दूसरी जीत का जश्न मनाती हुई शशि

बातों-बातों में उन्होंने मीडिया से कहा, मैं यूपी से आने वाले लोगों से यूपी के हालचाल पूछती रहती हूं। लोगों को ये नहीं बताती कि मैं योगी की बहन हूं। मैं योगी से दोबारा मिलना चाहती हूं। सुना है, गांव के स्कूल में अपने गुरु अवैद्यनाथ की मूर्ति का विमोचन करने आने वाले हैं। मुझे उसी दिन का इंतजार है।

शशि के अलावा योगी की दो और बहने हैं जो समृद्ध घरों में ब्याही हैं। शशि का योगी से विशेष लगाव रहा है क्योंकि शशि घर की सबसे छोटी बेटी रही हैं।

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