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पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में अब नहीं बनेगा हिंदू मंदिर, इमरान सरकार का अल्पसंख्यकों के प्रति चेहरा हुआ उजागर

नई दिल्ली । पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में अब हिंदू मंदिर नहीं बनेगा। इमरान खान सरकार के अंडर आने वाली कैपिटल डेवलपमेंट अथॉरिटी (CDA) ने मंदिर का जमीन आवंटन या अलॉकेशन ही रद्द कर दिया है। इस मंदिर को लेकर इमरान खान सरकार की काफी तारीफ हो रही थी। सरकार के मंत्री दावा कर रहे थे कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाता, यह मंदिर इस बात का सबूत होगा। हालांकि, जमीन आवंटन रद्द होने के बाद अब तक सरकार की तरफ से कुछ नहीं कहा गया है।

इस्लामाबाद हाईकोर्ट को जानकारी दी

मंदिर निर्माण को लेकर आई इस नई अड़चन की जानकारी इस पर नजर रख रहे इस्लामाबाद हाईकोर्ट को भी दी गई है। CDA के वकील जावेद इकबाल के मुताबिक, उन्होंने विभाग के फैसले की जानकारी हाईकोर्ट को दे दी है। इकबाल ने ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ से कहा- फेडरल कैबिनेट यानी केंद्र सरकार ने ही इस मंदिर के निर्माण की मंजूरी दी थी। अब उसने ग्रीन एरिया में नए कंस्ट्रक्शन और बिल्डिंग्स बनाने पर रोक लगा दी है। लिहाजा, यह मंदिर अब नहीं बन पाएगा।

2017 में अलॉट की गई थी जमीन

CDA से विचार विमर्श के बाद इमरान सरकार ने राजधानी इस्लामाबाद के सेक्टर H-9/2 में माइनोरिटी कम्युनिटी के लिए मंदिर निर्माण की मंजूरी दी थी। इसमें मंदिर के अलावा कम्युनिटी सेंटर और श्मशान घाट भी बनाया जाना था।

जुलाई में इस मामले की सुनवाई हुई थी। तब CDA ने हाईकोर्ट को बताया था कि जमीन आवंटन की प्रक्रिया तो 2016 से चल रही थी। यहां मंदिर के साथ ही श्मशान घाट भी बनाया जाना था। लैंड अलॉकेशन धार्मिक मामलों के विभाग से सलाह के बाद किया गया था। तमाम प्रक्रिया के बाद 3.89 कनाल जमीन 2017 में आवंटित कर दी गई थी। अगले साल यह जमीन हिंदू पंचायत को सौंप दी गई थी।

हिंदू समुदाय का लगा धक्का

दो साल चली प्रोसेस के बाद मंदिर के लिए जमीन मिली। फिर इसे हिंदू पंचायत को सौंपा गया। जब मंदिर बनाने की बारी आई तो उसी कैबिनेट ने CDA से अलॉटमेंट रद्द करने को कह दिया, जिसने जमीन दी थी। ह्यूमन राइट्स कमीशन के मेंबर कृष्ण शर्मा के मुताबिक, इस्लामाबाद में करीब तीन हजार हिंदू परिवार रहते हैं। इनको अपने तीज-त्योहार सेलिब्रेट करने के लिए एक तय जगह मिलने वाली थी। वे होली और दिवाली पर यहां जुट सकते थे। शादी या अंतिम संस्कार की जगह मिल जाती। अब ये नहीं हो सकेगा।

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