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सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति को उम्र कैद की सजा

पट्टा दिलाने के बदले काबीना मंत्री ने साथियों के संग किया गैंगरेप

लखनऊ। समाजवादी पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति को गैंगरेप के मामले में शुक्रवार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। दो दिन पहले ही एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने गायत्री समेत तीन आरोपियों को मामले में दोषी करार दिया था। शुक्रवार को इस सजा पर फैसला भी आ गया। वहीं, मामले के चार अन्य अभियुक्तों को बड़ी राहत देते हुए उन्हें कोर्ट ने मामले से बरी कर दिया है। तीनों दोषियों पर 2-2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

कोर्ट ने जिन्हें दोषी करार दिया है, उनमें गायत्री प्रजापति के अलावा आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी शामिल हैं। बरी होने वाले अभियुक्त रूपेश्वर उर्फ रूपेश, चंद्रपाल, विकास वर्मा अमरेंद्र सिंह पिंटू हैं। इनकी ओर से अधिवक्ता प्रांशु अग्रवाल ने बहस के दौरान दलील दी थी कि अभियोजन की ओर से तथ्यों के समर्थन में पेश किए गए किसी भी गवाह ने रूपेश्वर या चंद्रपाल के खिलाफ एक भी तथ्य नहीं बताए हैं।

पीड़िता के खिलाफ जांच के आदेश

मामले की सुनवाई के दौरान बार-बार बयान बदलना पीड़िता को भी भारी पड़ा है। पीड़िता समेत राम सिंह राजपूत और अंशु गौड़ के खिलाफ जांच के आदेश कोर्ट ने पुलिस आयुक्त, लखनऊ को दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि इस बात की जांच की जाए कि इन तीनों ने किस प्रभाव में आकर गवाही के दौरान बार-बार अपने बयान बदले।

यह था मामला

18 फरवरी, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति और अन्य छह अभियुक्तों के खिलाफ गैंगरेप, जानमाल की धमकी और पॉक्सो ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश पीड़िता की याचिका पर दिया था। पीड़िता ने गायत्री प्रजापति और उनके साथियों पर गैंगेरप का आरोप लगाते हुए, अपनी नाबालिग बेटी के साथ भी जबरन शारीरिक संबध बनाने का आरोप लगाया था।

कब-कब, क्या-क्या हुआ

– 2013 में पीड़िता चित्रकूट के राम घाट पर गंगा आरती के एक कार्यक्रम में मौजूदा कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति से मिली।

– वर्ष 2014 में पहली बार गायत्री ने उसके साथ रेप किया, उसके बाद 2016 तक वह लगातार पीड़िता का अन्य लोगों के साथ मिलकर शारीरिक शोषण करते रहे।

– 17 अक्टूबर 2016 को पहली बार पीड़िता ने यूपी के डीजीपी को इस मामले की शिकायत दी। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

– 16 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस और सरकार को पीड़िता की एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।

– 18 जुलाई 2017 को यूपी पुलिस ने गायत्री प्रसाद प्रजापति, विकास वर्मा, आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी के खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया। बाद में अमरेन्द्र सिंह उर्फ पिंटू, चंद्रपाल और रूपेश्वर उर्फ रूपेश के नाम भी जोड़े गए।

– 2 नवंबर 2021 को सभी आरोपियों के बयान दर्ज किए गए।

– 8 नवंबर 2021 को कोर्ट ने मामले की सुनवाई पूरी कर ली।

– 10 नवंबर 2021 को पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति, अशोक तिवारी एवं आशीष कुमार को दोषी करार दिया। वहीं अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह, विकास वर्मा चंद्रपाल और रुपेशवर उर्फ रूपेश को साक्ष्यों के अभाव में न्यायालय ने दोषमुक्त करार दिया।

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